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चंद्रयान-3 ने भेजी चांद की तस्वीर
चंद्रयान-3 ने भेजी चांद की तस्वीर
by
Arun Pandey,
August 07, 2023
in
विशेष
चंद्रयान-3 ने भेजी चांद की तस्वीर , इसरो हुआ गदगद
इसरो ने 05 अगस्त 2023 को चंद्रमा के ऑर्बिट में चंद्रयान-3 को पहुंचा दिया है। अब चंद्रयान-3 चांद के चारों तरफ 1900 किलोमीटर प्रति सेकेंड की गति से 170 km x 4313 km के अंडाकार ऑर्बिट में यात्रा कर रहा है। चंद्रयान -3 ने इसी दरम्यान इसरो को अनूठा , अजूबा और अचंभित करने वाली तस्वीर भेजी है। हर तस्वीर में बाएं तरफ गोल्डेन रंग का यंत्र चंद्रयान का सोलर पैनल है। सामने चंद्रमा की सतह और उसके गड्ढे दिख रहे हैं। यह हर फोटो में बढ़ता जा रहा है।
09 अगस्त की दोपहर पौने दो बजे करीब इसके ऑर्बिट को बदलकर 04 से 05 हजार किलोमीटर की ऑर्बिट में डाला जाएगा। हर तस्वीर में चंद्रमा बड़ा और गहरा होता जाएगा।
14 अगस्त की दोपहर इसे घटाकर 1000 किलोमीटर किया जाएगा। पांचवें ऑर्बिट मैन्यूवर में इसे 100 किलोमीटर की कक्षा में डाला जाएगा। 17 अगस्त को प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल अलग होंगे। 18 और 20 अगस्त को डीऑर्बिटिंग होगी। यानी चांद के ऑर्बिट की दूरी को कम किया जाएगा। लैंडर मॉड्यूल 100 x 35 KM के ऑर्बिट में जाएगा। इसके बाद 23 की शाम पांच बजकर 47 मिनट पर चंद्रयान की लैंडिंग कराई जाएगी।
चांद के ऑर्बिट को पकड़ने के लिए चंद्रयान-3 की गति को करीब 3600 किलोमीटर प्रतिघंटा के आसपास किया गया। क्योंकि चंद्रमा की ग्रैविटी धरती की तुलना में छह गुना कम है। अगर ज्यादा गति रहती तो चंद्रयान इसे पार कर जाता।
इसरो वैज्ञानिकों ने चंद्रयान की गति को कम करके 02 या 01 किलोमीटर प्रति सेकेंड किया। इस गति की वजह से वह चंद्रमा के ऑर्बिट को पकड़ पाया। अब धीरे - धीरे चांद के चारों तरफ उसके ऑर्बिट की दूरी को कम करके दक्षिणी ध्रुव के पास लैंड कराया जाएगा।
चंद्रयान-3 इससे पहले 288 x 369328 किलोमीटर की ट्रांस लूनर ट्रैजेक्टरी में यात्रा कर रहा था। अगर यह चांद का ऑर्बिट नहीं पकड़ पाता तो 230 घंटे बाद यह धरती के पांचवी कक्षा वाले ऑर्बिट में वापस आ जाता। इसरो इसे दोबारा चांद पर भेजने का दूसरा प्रयास कर सकता था।
इतिहास देख लीजिए... जिन भी देशों या स्पेस एजेंसियों ने सीधे चंद्रमा की ओर अपने रॉकेट के जरिए स्पेसक्राफ्ट भेजा , उन्हें निराशा ज्यादा मिली है। तीन मिशन में एक फेल हुआ। लेकिन इसरो ने जो रास्ता और तरीका चुना है , उसमें फेल होने की आशंका बेहद कम है। कुल मिलाकर यहां दोबारा मिशन पूरा करने का भरपूर चांस है।
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