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मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के दौरान लोकसभा स्पीकर रहे ओम बिरला आज फिर से नामांकन दाखिल करेंगे। उन्हें सर्वसम्मति से लोकसभा स्पीकर के लिए चुना जाना है। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, टीएमसी और डीएमके समेत सभी विपक्षी दलों ने उनके नाम पर सहमति जताई है। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि सत्ता पक्ष ने भी डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को देने पर सहमति जता दी है। इससे पहले विपक्ष ने कहा था कि यदि डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को नहीं मिला तो हम स्पीकर के लिए अपना कैंडिडेट उतारेंगे। 18वीं लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच घमासान का पहला मौका नहीं है। इसी तरह की परिस्थिति 1952 में जब पहली लोकसभा का गठन हुआ उस वक्त भी आई थी। अध्यक्ष का निर्वाचन निर्विरोध नहीं हुआ था। 1967 और 1976 में भी ऐसा ऐसा मौका आया था।