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*सभी दलों को सदन में सदस्यों के आचरण के संबंध में अपनी आचार संहिता बनानी चाहिए: लोक सभा अध्यक्ष*
*सभी दलों को सदन में सदस्यों के आचरण के संबंध में अपनी आचार संहिता बनानी चाहिए: लोक सभा अध्यक्ष*
लोक सभा अध्यक्ष ने विधानमंडलों की गरिमा कम होने तथा बैठकों की घटती संख्या पर चिंता व्यक्त की
by
Arun Pandey,
January 20, 2025
in
बिहार
*लोक सभा अध्यक्ष ने विधानमंडलों की गरिमा कम होने तथा बैठकों की घटती संख्या पर चिंता व्यक्त की*
*पीठासीन अधिकारियों को संविधान की भावना तथा उसके मूल्यों के अनुरूप सदन चलाना चाहिए: लोक सभा अध्यक्ष*
*क्षमता निर्माण को बढ़ावा देने के लिए राज्य विधानमंडलों को अपने स्थानीय निकायों के लिए AIPOC जैसे मंच बनाने चाहिए: लोक सभा अध्यक्ष*
*लोक सभा अध्यक्ष ने पीठासीन अधिकारियों से विधानमंडलों के कामकाज में प्रौद्योगिकी, एआई और सोशल मीडिया के उपयोग को बढ़ावा देने का आग्रह किया*
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*2025 के अंत तक ‘एक राष्ट्र, एक विधायी मंच’ का कार्य पूरा हो जाएगा: लोक सभा अध्यक्ष*
…
*राज्य विधानसभाओं की स्वायत्तता हमारे संघीय ढांचे का आधार है: लोक सभा अध्यक्ष*
…
*लोक सभा अध्यक्ष ने ‘संसदीय पद्धति एवं प्रक्रिया’ के अद्यतन संस्करण का विमोचन किया*
*लोक सभा अध्यक्ष ने पटना में 85वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन (एआईपीओसी) का उद्घाटन किया*
*पटना/नई दिल्ली 20 जनवरी लोक सभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने विधानमंडलों की बैठकों की घटती संख्या और उनकी गरिमा और मर्यादा में कमी की प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि विधानमंडल चर्चा- संवाद के मंच हैं और जनप्रतिनिधियों से अपेक्षा की जाती है कि वे लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करें । लोक सभा अध्यक्ष ने आगाह किया कि बैठकों की संख्या कम होने के कारण विधानमंडल अपने संवैधानिक दायित्वों को पूरा करने में विफल हो रहे हैं। उन्होंने विधिनिर्माताओं से आग्रह किया कि वे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों के समाधान के लिए कुशलता से कार्य करते हुए सदन में समय का उपयोग प्रभावी ढंग से करने को प्राथमिकता दें और सुनिश्चित करें कि जनता की आवाज पर्याप्त रूप से उठाई जाए । उन्होंने यह भी कहा कि हमारे सदनों की गरिमा और प्रतिष्ठा को बढ़ाना अति आवश्यक है। उन्होंने सुझाव दिया कि सभी दलों को सदन में सदस्यों के आचरण के संबंध में अपनी आचार संहिता बनानी चाहिए ताकि लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान हो । श्री बिरला ने कहा कि जनप्रतिनिधियों को राजनीतिक विचारधारा और संबद्धता से ऊपर उठकर संवैधानिक मर्यादा का पालन करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि जनप्रतिनिधियों को अपनी विचारधारा और दृष्टिकोण व्यक्त करते समय स्वस्थ संसदीय परंपराओं का पालन करना चाहिए। उन्होंने आज पटना में बिहार विधानमंडल परिसर में 85वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन (एआईपीओसी) का उद्घाटन करते हुए ये टिप्पणियां कीं।
https://x.com/ombirlakota/status/1881277375109103673
इस बात पर जोर देते हुए कि पीठासीन अधिकारियों को संविधान की भावना और उसके मूल्यों के अनुरूप सदन चलाना चाहिए, श्री बिरला ने कहा कि पीठासीन अधिकारियों को सदनों में अच्छी परंपराएं और परिपाटियाँ स्थापित करनी चाहिए और लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत बनाना चाहिए। लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत करते हुए पीठासीन अधिकारियों को विधानमंडलों को लोगों के प्रति अधिक जवाबदेह बनाना चाहिए और उनके माध्यम से लोगों की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को पूरा करना चाहिए। उन्होंने आग्रह किया कि एआईपीओसी की तरह राज्य विधान सभाओं को भी अपने स्थानीय निकायों के लिए प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के मंच तैयार करने चाहिए।
https://x.com/ombirlakota/status/1881289070657011857
विधानमंडलों को अधिक प्रभावी और कुशल बनाने पर जोर देते हुए, श्री बिरला ने पीठासीन अधिकारियों से विधानमंडलों के कामकाज में प्रौद्योगिकी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और सोशल मीडिया के उपयोग को बढ़ावा देने का आग्रह किया। इस बात पर ज़ोर देते हुए कि संसद और राज्य विधानमंडलों को जनता के लिए अधिक सुलभ बनाना समय की मांग है, उन्होंने सुझाव दिया कि तकनीकी नवाचारों के माध्यम से विधायी कार्यों की जानकारी आम जनता को उपलब्ध कराई जा सकती है। यह टिप्पणी करते हुए कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित साधनों से संसदीय और विधायी कार्यवाही में पारदर्शिता और प्रभावशीलता बढ़ाई जा सकती है, श्री बिरला ने कहा कि भारत की संसद ने इस प्रक्रिया की शुरुआत पहले से ही कर दी है जिसके सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं। इस संदर्भ में, श्री बिरला ने बताया कि 2025 के अंत तक ‘एक राष्ट्र, एक विधायी मंच’ का कार्य पूरा हो जाएगा ।
श्री बिरला ने इस बात पर बल दिया कि सहमति और असहमति के बीच सदनों में अनुकूल वातावरण में काम होना चाहिए ताकि कार्योत्पादकता अधिक हो । उन्होंने बेहतर जवाबदेही और पारदर्शिता के लिए सदनों और समितियों की दक्षता में सुधार करने पर भी जोर दिया। अध्यक्ष महोदय ने कहा कि हमारी संसदीय समितियों की कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए सभी विधानमंडलों की समितियों के बीच संवाद होना चाहिए तथा समितियों का कार्य वास्तविक तथ्यों पर आधारित होना चाहिए ताकि जनता के धन का उपयोग बेहतर ढंग से हो तथा अधिक से अधिक लोगों का कल्याण हो ।
राज्य विधान सभाओं की स्वायत्तता को संघीय ढांचे का आधार बताते हुए श्री बिरला ने कहा कि संविधान की सातवीं अनुसूची में उल्लिखित यह शक्ति तभी सार्थक होगी जब राज्य विधानमंडल निष्पक्षता और सत्यनिष्ठा के साथ अपना कार्य करें। अध्यक्ष महोदय ने कहा कि राज्यों के विधायी निकायों को अपनी शक्तियों का उपयोग इस प्रकार की नीतियां बनाने में करना चाहिए जो स्थानीय आवश्यकताओं और लोगों की अपेक्षाओं के अनुरूप हों तथा देश की सर्वांगीण प्रगति में भी सहायक हों।
भारत को मजबूत बनाने के लिए सामूहिक प्रयासों का आह्वान करते हुए श्री बिरला ने कहा कि राष्ट्रीय हित के मुद्दों पर केंद्र और राज्यों दोनों को ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना के साथ मिलकर काम करना चाहिए। इस संबंध में विधानमंडलों की भूमिका का उल्लेख करते हुए, श्री बिरला ने इस बात पर ज़ोर दिया कि राष्ट्र को विकसित और आत्मनिर्भर बनाने में विधानमंडलों को सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
https://x.com/ombirlakota/status/1881289085253497215
इस अवसर पर श्री बिरला ने ‘संसदीय पद्धति एवं प्रक्रिया’ के 8वें अंग्रेजी संस्करण और 5वें हिंदी संस्करण का विमोचन किया। लोक सभा के महासचिव, श्री उत्पल कुमार सिंह द्वारा संपादित यह अद्यतन संस्करण भारतीय संसद के कामकाज और संचालन को समझने के लिए महत्वपूर्ण संसाधन है। इस पुस्तक में संसदीय पद्धतियों, नियमों और परंपराओं के विस्तृत विवरण के साथ ही विधायी प्रक्रिया और निर्वाचित प्रतिनिधियों की भूमिका के बारे में भी बहुमूल्य जानकारी दी गई है। इस अद्यतन संस्करण का विमोचन पारदर्शिता, प्रभावी शासन तथा विधिनिर्माताओं और आम जनता को संसदीय प्रक्रियाओं की गहन जानकारी प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
https://x.com/LokSabhaSectt/status/1881276113122378082
85वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन के उद्घाटन से पहले AIPOC की स्थायी समिति की बैठक हुई, जिसकी अध्यक्षता लोक सभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने की।
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*भारत अपनी विकास यात्रा के एक महत्वपूर्ण चरण में है और हमारे विधायी संस्थानों को गतिशील होना होगा ताकि संवैधानिक मूल्यों को भविष्य के लिए प्रासंगिक रखा जा सके: उप सभापति, राज्य सभा*
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इस अवसर पर बोलते हुएए राज्य सभा के उप सभापति श्री हरिवंश ने बिहार के समृद्ध इतिहास को याद किया। उन्होंने कहा कि यह इतिहास बिहार के लोगों के स्वतंत्रता संग्राम और संविधान निर्माण में योगदान में भी स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। उन्होंने आगे कहा कि देश अपनी विकास यात्रा के एक महत्वपूर्ण चरण पर है और हमारे विधायी संस्थानों को गतिशील होना होगा ताकि संवैधानिक मूल्यों को भविष्य के लिए प्रासंगिक रखा जा सके। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि भारतीय संविधान समय के साथ लचीला हुआ है और समय की कसौटी पर खरा उतरा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि आने वाले वर्षों में देश के विधायी संस्थानों को देश की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए भविष्य की ओर देखना होगा।
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*बिहार विधान परिषद के सभापति ने प्रतिनिधियों को संबोधित किया*
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सत्र को संबोधित करते हुए, बिहार विधान परिषद् के सभापति श्री अवधेश नारायण सिंह ने सभी प्रतिनिधियों का बिहार में स्वागत किया और कहा कि बिहार चार दशकों बाद AIPOC का आयोजन करके गौरवान्वित है। उन्होंने उल्लेख किया कि लोक सभा अध्यक्ष ने लोकतंत्र को सशक्त करते हुए और लोकतांत्रिक संस्थाओं के बीच संवाद को बढ़ावा देने के लिए निरंतर कार्य किया है। उन्होंने कहा कि श्री बिरला की अध्यक्षता में AIPOC सभी पीठासीन अधिकारियों को उनके कर्तव्यों का पालन करने में बहुमूल्य मार्गदर्शन प्रदान कर रहा है। उन्होंने बिहार के गौरवमयी इतिहास और राष्ट्र निर्माण में बिहार के योगदान का भी जिक्र किया । श्री सिंह ने आशा व्यक्त की कि दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान होने वाली बहस और चर्चाएं पीठासीन अधिकारियों के साथ सम्पूर्ण राज्य विधायिका के कार्यों में दक्षता लाने में सहायक होंगी।
AIPOC लोकतंत्र को मजबूत करने और जनप्रतिनिधियों के बीच संवाद और समन्वय को बढ़ावा देने के लिए एक प्रभावी मंच है : बिहार विधान सभा अध्यक्ष
बिहार विधान सभा के अध्यक्ष श्री नंद किशोर यादव ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने कहा कि बिहार को भारत की सांस्कृतिक,ऐतिहासिक और बौद्धिक धरोहर का केंद्र माना जाता है। बिहार का सीतामढ़ी माँ सीता का जन्मस्थान है, जो एक धार्मिक, ऐतिहासिक और आधुनिक पर्यटन स्थल है। श्री यादव ने कहा कि बिहार भगवान बुद्ध, महावीर और गुरु गोबिंद सिंह जी की जन्मभूमि भी है। बिहार वही भूमि है जहाँ चाणक्य ने राजनीति के सिद्धांतों का प्रतिपादन किया और सम्राट अशोक ने शासन में शिष्टता का संदेश दिया।
यह जिक्र करते हुए कि AIPOC एक प्रभावी मंच है जो लोकतंत्र को मजबूत करने और जनप्रतिनिधियों के बीच संवाद और समन्वय को बढ़ावा देने में सहायक है। श्री यादव ने कहा कि विधायी संस्थानों की लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि AIPOC केवल विचारों के आदान-प्रदान का मंच नहीं है, बल्कि यह अनुभव साझा करने और विधायिका को अधिक प्रभावी बनाने के उपायों पर चर्चा करने का एक अवसर भी है।
बिहार के उपमुख्यमंत्री श्री सम्राट चौधरी और बिहार सरकार में मंत्री श्री श्रवण कुमार ने भी इस अवसर पर प्रतिभागियों को सम्बोधित किया ।
बिहार विधान सभा के उपाध्यक्ष श्री नरेंद्र नारायण यादव ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
85वें AIPOC का एजेंडा :
संविधान की 75वीं वर्षगांठ : संवैधानिक मूल्यों को मजबूत करने में संसद और राज्य विधायी निकायों का योगदान।
85 वें AIPOC से पूर्व, विधायी निकायों के सचिवों का 61वां सम्मेलन 19 जनवरी 2025 को आयोजित हुआ। इस सम्मेलन में निम्नलिखित विषय पर विचार-विमर्श किया गया।
“विधायी निकायों में आधुनिक तकनीकों को अपनाना ताकि कार्यकुशलता, प्रभावशीलता और उत्पादकता बढ़ाई जा सके।”
AIPOC का आयोजन पटना में तीसरी बार हो रहा है। बिहार ने इससे पहले 1964 और 1982 में AIPOC का आयोजन किया था।
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