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राम की खोज
राम की खोज
by
Arun Pandey,
April 06, 2025
in
विशेष
रामायण तो मिलती है
भारत के घर-घर में,
पर राम कहाॅं मिलते हैं
आज किसी के घर में।
सौ-सौ रावण,हर मौसम में
लेते जनम यहाॅं,
दुख हरने की,हर भाषण में
खाते कसम यहाॅं,
मतलब के हनुमान बने
मिलते हैं हर घर में,
पर राम कहाॅं मिलते हैं
आज किसी के घर में।
मत पूछें हाल-चाल
लक्ष्मन और विभीषण का,
बदल गया व्यवहार बहुत,
भरत और शत्रुघ्न का।
तन-मन से घायल सीता
मिलती है उस घर में,
पर राम कहाॅं मिलते हैं,
आज किसी के घर में।
भोली जनता पिसा रही,
अलग-अलग वादों में,
अमरित की बारिश होती,
केवल जन-संवादों में।
लिपिगत होती व्यथा-कथा
जन कवियों के घर में,
पर राम कहाॅं लिख पाते
वे फिर अपने घर में।
कलह, द्वेष, ईर्ष्या का
खूनी युद्ध छिड़ा है,
लड़ने को मानव से
लोभी दानव आ भिड़ा है।
राम राज्य का दिखता
सपना केवल अम्बर में,
जबकि नहीं दिखेंगे राम
कभी किसी घर में।
,
: मेहता नगेन्द्र सिंह
पर्यावरण-चिन्तक
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