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यूनिफॉर्म सिविल कोड की रूल्स मेकिंग कमेटी ने यूसीसी रिपोर्ट को किया सार्वजनिक
यूनिफॉर्म सिविल कोड की रूल्स मेकिंग कमेटी ने यूसीसी रिपोर्ट को किया सार्वजनिक
चार खंडों वाली रिपोर्ट की खासियत वेबसाइट पर अपलोड
by
Arun Pandey,
July 12, 2024
in
देश
निरंजन
लंबे इंतजार के बाद शुक्रवार को उत्तराखंड यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी यूसीसी की रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी गई है। इसमें कुल 392 अनुच्छेद हैं। इसके रिपोर्ट को चार खंडों में तैयार किया गया है। लोग यूसीसी पोर्टल पर जाकर इस रिपोर्ट को हिंदी और अंग्रेजी में पढ़ सकते हैं। यूनिफॉर्म सिविल कोड की रूल्स मेकिंग एंड इंप्लीमेंटेशन कमेटी ने इसे सार्वजनिक किया है। इसका मकसद प्रदेश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से पहले प्रदेश की जनता यूसीसी रिपोर्ट को पढ़ और समझ सकें। इसकी रिपोर्ट चार वाल्यूम में तैयार की गयी है। समान नागरिक संहिता , उत्तराखंड 2024 में कुल 392 अनुच्छेद हैं। यूसीसी की रिपोर्ट राज्य सरकार को मिलने के बाद मंत्रिमंडल से मंजूरी देने के साथ ही 07 फरवरी को विधान सभा से इसे पारित किया गया था। इस रिपोर्ट को प्रॉपर तरीके से लागू करने के लिए इससे संबंधित नियम तैयार करने की जरूरत थी। इसको देखते हुए उत्तराखंड की धामी सरकार ने 10 फरवरी 2024 को उत्तराखंड के पूर्व सीएस शत्रुघ्न सिंह की अध्यक्षता में सात सदस्यीय रूल्स मेकिंग और इंप्लीमेंटेशन कमेटी का गठन किया था। यूसीसी के नियम तैयार करने के लिए रूल्स मेकिंग और इंप्लीमेंटेशन कमेटी का गठन करने के साथ ही सरकार ने यूसीसी को राष्ट्रपति से मंजूरी के लिए राष्ट्रपति भवन भेजा था। 11 मार्च 2024 को राष्ट्रपति का अनुमोदन मिलने के बाद राज्य सरकार ने 12 मार्च 2024 को यूसीसी का गजट नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया था। इसी के साथ रूल्स मेकिंग और इंप्लीमेंटेशन कमेटी यूसीसी को लागू करने के लिए नियम तैयार कर रही है जो लगभग बनकर तैयार हो गया है। यूसीसी रिपोर्ट को चार खंडों में तैयार किया गया है। पहला खंड : रिपोर्ट ऑफ द एक्सपर्ट कमेटी , दूसरा खंड : ड्राफ्ट कोड , तीसरा खंड : रिपोर्ट ऑन स्टेकहोल्डर कंसल्टेशन और चौथा खंड : प्रारूप संहिता पर आधारित है। वहीं रूल्स मेकिंग और इंप्लीमेंटेशन कमेटी के अध्यक्ष शत्रुघ्न सिंह ने प्रेस वार्ता में कहा कि रिपोर्ट तैयार होने के बाद इसे जनता के साथ साझा नहीं किया जा सका था क्योंकि लोकसभा चुनाव को लेकर आदर्श आचार संहिता लागू हो गई थी। इसके चलते शुक्रवार को यूसीसी की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया गया है। अब जनता यूसीसी की वेबसाइट पर जाकर इसके चारो खंडों को पढ़ सकती है। इसका मसौदा तैयार करने के लिए रिटायर्ड न्यायाधीश रंजना देसाई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था। ऐसे में विशेषज्ञ समिति की ओर से राज्य सरकार को यूसीसी रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद से ही लोग रिपोर्ट का इंतजार कर रहे थे। साथ ही आरटीआई के जरिए भी रिपोर्ट मांग रहे थे। इसको देखते हुए यूसीसी के रूल्स तैयार कर रही कमिटी ने रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का निर्णय लिया। अब नामित कमेटी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड की रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दिया है। लिहाजा आम जनता यूसीसी रिपोर्ट को इसकी वेबसाइट https://ucc.uk.gov.in/ पर जाकर पढ़ सकती है।
यूसीसी में मुख्य प्रावधान :
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समान नागरिक संहिता लागू होने से समाज में बाल विवाह , बहु विवाह , तलाक जैसी सामाजिक कुरीतियों और कुप्रथाओं पर लगाम लगेगी।
किसी भी धर्म की संस्कृति , मान्यता और रीति-रिवाज इस कानून से प्रभावित नहीं होंगे।
बाल और महिला अधिकारों की सुरक्षा करेगा यूसीसी।
विवाह का पंजीकरण होगा अनिवार्य। पंजीकरण नहीं होने पर सरकारी सुविधाओं का नहीं मिलेगा लाभ।
पति-पत्नी के जीवित रहते दूसरा विवाह करना होगा प्रतिबंधित।
सभी धर्मों में विवाह की न्यूनतम उम्र लड़कों के लिए 21 साल और लड़कियों के लिए 18 साल निर्धारित।
वैवाहिक दंपति में यदि कोई एक व्यक्ति बिना दूसरे व्यक्ति की सहमति के अपना धर्म परिवर्तन करता है तो दूसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति से तलाक लेने और गुजारा भत्ता लेने का होगा अधिकार।
पति-पत्नी के तलाक या घरेलू झगड़े के समय 05 वर्ष तक के बच्चे की कस्टडी बच्चे के माता के पास ही रहेगी।
सभी धर्मों में पति-पत्नी को तलाक लेने का समान अधिकार होगा।
सभी धर्म-समुदायों में सभी वर्गों के लिए बेटा-बेटी को संपत्ति में समान अधिकार।
मुस्लिम समुदाय में प्रचलित हलाला और इद्दत की प्रथा पर रोक लगेगी।
संपत्ति में अधिकार के लिए जायज और नाजायज बच्चों में कोई भेद नहीं होगा।
नाजायज बच्चों को भी उस दंपति की जैविक संतान माना जाएगा
किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति में उसकी पत्नी और बच्चों को समान अधिकार मिलेगा।
किसी महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के संपत्ति में अधिकार को संरक्षित किया जाएगा।
लिव-इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण अनिवार्य होगा।
लिव-इन के दौरान पैदा हुए बच्चों को उस युगल का जायज बच्चा माना जाएगा। उस बच्चे को जैविक संतान की तरह सभी अधिकार प्राप्त होंगे।
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